दशमः त्वम् असि
पाठ परिचय (Introduction of Lesson)
इस पाठ संख्यावाच्री (पुल्लिग) पदों से परिचय कराया गया है। पाठ में कत्वा प्रत्ययान्त पदों का प्रयोग भी है। यथा- दृष्टूबा - देखकर, श्रुत्वा - सुनकर आदि।दस बालक स्नान के लिए नदी पर जाते हैं; स्नान के पश्चात् एक बालक गणना करता है किंतु स्वयं को गिनना भूल जाता है। अत: नौ बालक गिनता है। दूसरा बालक भी गणना में यही त्रुटि करता है। उन्हें लगता है कि उनमें से एक नदी में डूब गया है। वे बहुत दु:खी होते हैं। इसी बीच एक पथिक वहाँ आकर गणना में उनकी सहायता करता है। गिनने वाले को वह कहता है कि दसवें तुम हो। सभी प्रसन्न हो जाते हैं।
(क) एकदा दश बालका: स्नानाय नदीम् अगच्छन्। ते नदीजले चिरं स्नानम् अकुर्वन। ततः ते तीर्त्वा पारं गता:। तदा तेषां नायक: अपृच्छत्-अपि सर्वे बालका: नदीम् उत्तीर्णा:?
सरलार्थ - एक बार दस बालक स्नान के लिए नदी पर गए। उन्होंने देर तक नदी के जल में स्नान किया। फिर वे तैरकर नदी के पार गए। तब उनके नायक ने पूछा-' क्या सभी बालक नदी पार कर गए हैं?” अर्थात् क्या सभी नदी से बाहर आ गए हें?
(ख) तदा कश्चित् बालक: अगणयत्-एक:, द्वो, त्रय:, चत्वार:, पञ्च, षट्, सप्त, अष्टो, नव इति। स: स्वं न अगणयत्। अत: स: अवदत्-नव एव सन्ति। दशम: न अस्ति। अपर: अपि बालक: पुन: अन्यान् बालकान् अगणयत्। तदा अपि नव एवं आसन्। अत: ते निश्चयम् अकुर्वन् यत् दशम: नद्यां मग्न:। ते दुःखिता: तृष्णीम् अतिष्ठन्।
सरलार्थ- तब किसी बालक ने गणना की-“एक, दो, तीन, चार, पाँच, छः, सात, आठ, नो इस त्तरह।” उसने अपने आपको (स्वयं को) नहीं गिना। अतः वह बोला-“नौ ही हैं, दसवाँ नहीं है।” दूसरे बालक ने भी अन्य बालकों को गिना। फिर भी नौ ही थे। अतः उन्होंने निश्चय किया कि दसवा नदी में डूब गया है। वे दुखी हो, चुपचाप बैठ गए।
(ग) तदा कश्चित् पथिक: तत्र आगच्छत्। स: तान् बालकान् दुःखितान् दृष्ट्वा अपृच्छत् -बालका:! युष्मा्कं दुःखस्य कारणं किम्? बालकानां नायक: अकथयत्-“वयं दश बालका: स्नातुम् आगता:। इदानीं नव एव स्म:। एक: नद्यां मग्न:।
सरलार्थ- तब कोई पशथ्चिक वहाँ आया। उसने उन बालकों को दुखी देखकर पूछा-“हे बच्चो ! तुम लोगों के दुःख का कारण क्या है?” बालकों के नायक ने कहा-“हम दस लड़के स्नान के लिए आए थे। अब हम नौ ही हैं। एक नदी में डूब गया है।”
(घ) पथिक: तान् अगणयत्। तत्र दश बालका: एव आसन्। सः नायकम् आदिशत् त्वं बालकान् गणय। स: तु नव बालकान् एव अगणयत्। तदा पथिक: अवदत्-दशम: त्वम् असि इति। तत् श्रुत्वा प्रह्ष्टा: भूत्वा सर्वे गृहम् अगच्छन्।
सरलार्थ- पथिक ने उन्हें गिना। वहाँ दस बालक ही थे। उसने नायक को आदेश दिया-“ तुम बालकों को गिनो। उसने तो नौ बालक ही गिने।” तब पथिक बोला-“ दसवें तुम हो।” यह सुनकर सब खुश होकर घर चले गए।
S.no | Chapters |
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1 | सुभाषितानि |
2 | दुर्बुद्धि: विनश्यति |
3 | स्वावलम्बबम् |
4 | हास्यबालकविसम्मेलनम् |
5 | पण्डिता रमाबाइ |
6 | सदाचार |
7 | सङ्कल्प: सिंद्धिदायक: |
8 | त्रिवर्णः |
9 | |
10 | विश्वबन्धुत्वम् |
11 | समवायो हि दुर्जयः |
12 | विद्याधनम् |
13 | अमृतं संस्कृतम |
14 | अनारिकायाः जिज्ञासा |
15 | लालनगीतम |
S.no | Chapter |
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1 | शब्दपरिचयः I |
2 | शब्दपरिचयः II |
3 | शब्दपरिचयः III |
4 | विद्यालयः |
5 | वृक्षः |
6 | समुद्रतट |
7 | बकस्य प्रतीकारः |
8 | सूक्तिस्तबकः |
9 | क्रीडास्पर्धा |
10 | कृषिका कर्मवीराः |
11 | पुष्पोत्सवः |
12 | दशमः त्वम् असि |
13 | विमानयानं रचयाम् |
14 | अहह आः च |
15 | मातुलचन्द्र |
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ReplyDeleteTttyyttyyy
ReplyDeleteThank you for this translation
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