भारतजनताऽहम्
[प्रस्तुत कविता आधुनिक कविकुलशिरोमणि डॉ. रमाकान्त शुक्ल द्वारा रचित काव्य “भारतजनताऽहम्' से साभार उद्धृत है। इस कविता में कवि भारतीय जनता के सरोकारों, विविध कौशलों, विविध रुचियों आदि का उल्लेख करते हुए बतातें हैं कि भारतीय जनता की क्या-क्या विशेषताएँ हैं।]अभिमानधना विनयोपेता, शालीना भारतजनताऽहम्॥
'कुलिशादपि कठिना कुसुमादपि, सुकुमारा भारतजनताऽहम्॥1॥
अन्वयः-
अहम् भारतजनता अभिमानधना, विनयोपेता शालीना (च अस्मि)। अहम् भारतजनता कुलिशादपि कठिना, कुसुमादपि सुकुमारा(अस्समि)।
अर्थ-
मैं स्वाभिमान रूपी धन वाली, विनम्रता से परिपूर्ण और शालीन भारत की जनता हूँ। मैं वज़ से भी कठोर और फूल से भी कोमल भारत की जनता हूँ।
शब्दार्थाः
अभिमानधना-स्वाभिमान रूपी धन वाली
विनयोपेता (विनय+उपेता) - विनम्नता से परिपूर्ण / युक्त
कुलिशादपि (कुलिशातू + अपि) - वेज से भी
कठिना - कठोर
कुसुमादपि (कुसुमात्-कः अपि) फूल से भी
सुकुमारा - अत्यंत कोमल
भारतजनताछ्हम् - मैं भारत की जनता हूँ.
निवसामि समस्ते संसारे, मन््ये च कुटुम्बं वसुन्धराम।
प्रेय: श्रेयः च॒ चिनोम्युभयं, सुविवेका भारतजनताऽहम्।2।
अन्वयः-
अहम् भारतजनता समस्ते संसारे निवसामि, (अहं) वसुन्धरां च कूटुम्बं मन््ये | सुविवेका (भारतजनताछ्हमु) प्रेयः श्रेय: च उभयं॑ चिनोमि।
अर्थ:-
मैं भारत की जनता, सम्पूर्ण संसार में निवास करती हूँ, पूरी पृथ्वी को अपना परिवार मानती हूँ, में सुबुद्धि (अच्छी बुद्धिवाली) भारत की जनता, प्रिय और कल्याणकारी दोनों को चुनती हूँ।
शब्दार्थाः
संसारे - संसार में
निवसामि-रहती हूँ
वसुंधराम् - पृथ्वी को
कुटुम्बम् -परिवार
प्रेय: (प्रियकर) - अच्छा लगने वाला/ प्रिय
श्रेय:- कल्याणकारी
चिनोम्युभयम् (चिनोमि + उभयम्) - दोनों को चुनती हूँ
सुविवेका- अच्छे विवेक (बुद्धि) वाली
विज्ञानधनाऽहं ज्ञानधना, साहित्यकला-सब्जीतपरा।
अध्यात्मसुधातटिनी-स्नानैः, परिपूतता भारतजनताऽहम्।3।
अन्वयः-
अहं भारतजनता ज्ञानधना, विज्ञानधना (अस्मि), साहित्य-कला, सड्गीतपरा (अस्मि)। अहम् अध्यात्मसुधातटिनी -स्नानैः परिपूता (अस्मि)।
अर्थ:-
मैं भारत की जनता, ज्ञान और विज्ञान रूपी धन वाली हूँ, मैं साहित्य, संगीत कला आदि के ज्ञान से परिपूर्ण हूँ। मैं अध्यात्मरूपी अमृतमयी नदी बा द्वारा पवित्र (भारत की जनता) हूँ।
शब्दार्थाः
ज्ञानधना - ज्ञानरूपी धनवाली
विज्ञानधना - विज्ञानरूपी धनवाली
सड्गीतपरा - संगीत से परिपूर्ण
अध्यात्मसुधातटिनी-स्नानै: - अध्यात्मरूपी अमृतमयी नदी में स्नान से के
परिपूता - पवित्र
मम गीतेर्मुग्धं सम॑ जगतू, मम नृत्येर्मुग्धं सम जगत्।
मम काब्यर्मुग्धं सम॑ जगत्, रसभरिता भारतजनताऽहम्।4।
अन्वयः-
मम गीतैः सम॑ जगत् मुग्धम् (अस्ति), मम नृत्य: सम॑ जगत् मुग्धम् (अस्ति), मम काव्यैः सम॑ जगत् मुग्धम् (अस्ति),अहं रसभरिता भारत जनता (अस्मि)।
अर्थ-
मेरे गीतों से सारा संसार मुग्ध है; मेरे नृत्य से सारा संसार मुग्ध है, मेरे काव्य से सारा संसार मुग्ध है, मैं आनंद रस से परिपूर्ण भारत की जनता हूँ।
शब्दार्थाः
गीतैर्मुग्धम् (गीतैः + मुग्धम) - गीतों से मुग्ध,/ मोहित
नृत्यैर्मुग्धम् (नृत्यैः + मुख्धम) - चुत्य से मुग्ध,/ मोहित
काब्यर्मुग्धम् (काव्यै: + मुग्धम) - काव्य से मुग्ध,/ मोहित
समम् - सम्पूर्ण
जगत् - संसार
रसभरिता - आनंद से परिपूर्ण
उत्सवप्रियाऽहं श्रमप्रिया, पदयात्रा-देशाटन-प्रिया।
लोकक्रीडासक्ता वर्धेउतिथिदेवा, भारतजनताऽहम्।5।
अन्वयः-
अहम् भारतजनता उत्सवप्रिया, श्रमप्रिया, पदयात्रा-देशाटन-प्रिया, लोकक्रीडासक्ता (अस्मि), अहम् अतिथिदेवा वर्ध ।
अर्थ:-
मै उत्सव को पसंद करने वाली, परिश्रम को पसंद करने वाली, पदयात्रा द्वारा देश-भ्रमण को पसंद करने वाली,-लोकक्रीडा ,/ पारम्परिक खेलों में अनुराग /स्नेह रखने वाली, अतिथि को देवताओं से बढ़कर मानने वाली (भारत की जनता) हूँ।
शब्दार्थाः
उत्सवप्रिया-जिसको उत्सव अच्छे लगते हों
श्रमप्रिया- जिसको मेहनत करना पंसद हो
पदयात्रा- पैदल यात्रा
देशाटन- देश में भ्रमण / घूमना
लोकक्रीडा- स्थानीय / पारम्परिक खेल
आसक्ता- अनुराग /स्नेह रखने वाली
मैत्री मे सहजा प्रकृतिरस्ति, नो दुर्बलताया: पर्याय:।
मित्रस्य चक्षुषा संसारं, पश्यन्ती भारतजनताऽहम्।6।
अन्वयः-
मैत्री मे सहजा प्रकृतिर॒स्ति, दुर्बलताया: पर्याय: नो, मित्रस्य चक्षुषा संसारं पश्यन्ती अहं भारतजनता (अस्मि)।
अर्थ:-
मित्रता मेरा सहज स्वभाव है, यह हमारी दुर्बलता,/ कमजोरी का पर्याय नहीं है, मैं मित्र की आँखों दृष्टि से संसार को देखने वाली भारत की जनता हूँ।
शब्दार्थाः
मैत्री- मित्रता
मे(मम)- मेरा
प्रकृति- स्वभाव
नो- नहीं
दुर्बलताया:-दुर्बलता / कमजोरी का
चक्षुषा- आँख से
पश्यन्ती- देखती हुई
विश्वस्मिन् जगति गताहमस्मि, विश्वस्मिन् जगति सदा दृश्ये।
विश्वस्मिन् जगति करोमि कर्म, कर्मण्या भारतजनताऽहम्।7।
अन्वयः-
अहं विश्वस्मिन् जगति गता अस्मि, (अहं) विश्वस्मिन् जगति सदा दृश्ये, अहं कर्मण्या भारतजनता विश्वस्मिन् जगति कर्म करोमि।
अर्थ:-
मैं सम्पूर्ण विश्व हा गई हुई हूँ, मैं सम्पूर्ण विश्व में देखी जाती हूँ, मैं कर्मशील भारत कीं जनता हूँ जो सम्पूर्ण विश्व में कार्य करती हूँ।
शब्दार्थाः
विश्वस्मिन् - (सारे) संसार में
जगति - संसार में
गताहमस्मि (गता + अहम् + अस्मि)
गता - गई हुई द्श्ये एजदेखी जाती हूँ
करोमि - करता,करती हूँ
कर्मण्या - कर्मशील
Chapters | Link |
---|---|
Chapter 1 | सूभाषितानि |
Chapter 2 | बिलस्य वाणी न कदापि मे श्रुता |
Chapter 3 | डिजीभारतम् |
Chapter 4 | सदैव पुरतो निधेहि चरणम |
Chapter 5 | कण्टकेनैव कण्टकम्(old) |
Chapter 6 | गृहं शून्यं सुतां विना |
Chapter 7 | भारतजनताऽहम् |
Chapter 8 | संसारसागरस्य नायकाः |
Chapter 9 | सप्तभगिन्यः |
Chapter 10 | नीतिनवनीतम् |
Chapter 11 | सावित्री बाई फुले |
Chapter 12 | कः रक्षति कः रक्षितः |
Chapter 13 | क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः |
Chapter 14 | आर्यभटः |
Chapter 15 | प्रहेलिका |
Thanku really very helpful but some words are spelt wrong....!! 😁😁
ReplyDelete👁️👁️👁️👁️👁️👁️👁️👁️👁️👁️👁️👁️👁️👁️👁️👁️👁️
Delete🌷🌷🌷🌷
DeleteThe explanation of question answer should be added.
ReplyDeleteYes please
DeleteCan you please provide the answers of this chapter
ReplyDeleteThank you so much for your help because i don't know most of sanskrit words. 😊😊😊😊
ReplyDeletePlease provide the answers of this chapter
ReplyDeleteAnd fourth also☺️
Please provide me the answers of 5 chapter
DeletePlease please
I is very important
This comment has been removed by the author.
ReplyDeletePlzz provide hindi translation of questions of this chapter
ReplyDeleteYes please please please please please please please please please please please please please please please please please please please please please please please please please please please please please please please please provide it with us your translations are very helpful to us
DeletePlzz provide hindi translation of questions of this chapter
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteMast good explain 👏👏
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteHa ha ha ha
ReplyDeletearigato(thanks)
ReplyDeletenice explanation... it helped me a lot.
Hi
ReplyDeleteHlo
DeleteThank you so much
ReplyDeleteThanks, it really helped me a lot to revise for my studies.
ReplyDeleteThank u so much
ReplyDeleteThis help a lot to my exam also save my internet which is at the last range.
ReplyDeleteI am extremely impressed by this app but if answers can be provided then it would be more better than now😊😊😊😊😊
ReplyDeleteSursheidashinda (Good Morning)
ReplyDelete-÷×+
अहं। ________________निवसामि
ReplyDeleteVery nice translation thank you
ReplyDeleteNice explanation. Hats off to you. Do your work in same way till your death.
ReplyDeleteBhout haad bhout haad
ReplyDelete