Sanskrit translation of chapter 9 अहमपि विद्यालयं गणिष्यामि‌ in hindi class 7

अहमपि विद्यालयं गणिष्यामि

मालिनी - (प्रतिवेशिनीं प्रति) गिरिजे! मम पुत्र: मातुलगृहं प्रति प्रस्थित: काचिद्‌ अन्यां कामपि महिला कार्यार्थ जानासि तर्हि प्रेषय।
अनुवाद-
मालिनी- (पड़ोसन को ) -गिरिजा! मेरा बेटा मामा के घर चला गया है,यदि किसी काम करने वाली महिला को जानती हो तो भिजवा दो |

शब्दार्थ- 
प्रतिवेशिनीं -पड़ोसन को |
मातुलगृहं -मामा के घर |
काचिद्‌ अन्यां- किसी दूसरी को|
क्रियापद- जानासि - जानती हो |
अव्ययपद- प्रति- की तरफ,अपि- भी।
मम- मेरा।
प्रस्थित:-चला गया है।
कार्य अर्थ - काम के लिए।
प्रेषय -भिजवा दो |
तहिं- तो।


गिरिजा - आम्‌ सखि! अद्य प्रात: एव मम सहायिका स्वसुताया: कृते कर्मार्थ पृच्छति स्म। श्व: प्रातः एवं तया सह वार्ता करिष्यामि।
अनुवाद-
गिरिजा- हाँ सखी! आज सुबह ही मेरी सेविका अपनी बेटी के लिए काम दिलाने के बारे में पूछ रही थी | मैं क्न सुबह ही उसके साथ बात करुँगी|

शब्दार्थ-
सहायिका -सेविका।
तया सह -उसके साथ |
क्रियापद- पृच्छति सम -पूछ रही थी |
अव्ययपद- आम- हाँ |
एवं - ही।
स्वसुताया:-अपनी पुत्री के |
वार्ता -बातचीत।
करिष्यामि- करूँगी||
अदय -आज |
श्व- आने वाला कल |


(अग्रिमदिने प्रातः काले षट्वादने एवं मालिन्या: गृहघ्ण्टिका आगन्तारं कमपि सूचयति मालिनी द्वार्मुद्घाटयति पश्यति यत्‌-गिरिजायाः सेविकया दर्शनया सह एका अधष्टवर्षदेशीय, बालिका तिष्ठति)
अनुवाद-
( अगले दिन सुबह 6 बजे ही मालिनी के घर की घंटी किसी आने वाले की सहन| देती है ,मालिनी दरवाजा खोलती है और देखती है कि गिरिजा की सेविका दर्शना साथ एक 8 वर्ष की बालिका खड़ी है | ।

शब्दार्थ - 
अग्रिम दिने - अगले दिन |
प्रात: काले - सुबह के समय
षट्वादने एव - छः बजने पर ही |
मालिन्या: - मालिनी के |
गृहघण्टिका- घर की घण्टी|
आगन्तारं - आने वाले की|
द्वारम्‌ - दरवाजे को |
गिरिजाया: - गिरिजा की|
सेविकया दर्शनया सह- सेविका दर्शना के साथ | एका- एक |
अष्टवर्षदेशीय- आठ वर्ष की|
क्रियापद - सूचयति - सूचना देती है |
उद्घाटयति - खोलती है |
पश्यति - देखती है |
तिष्ठति - बैठती है|


दर्शना - महोदये! भवती कार्यार्थ गिरिजामहोदयां पृच्छति सम कृपया मम सुतायै अवसर प्रदाय अनुगृह्नातु भवती।
अनुवाद-
दर्शना - महोदया! आप काम के बारे मे गिरिजा महोदया को पूछ रही थी , कृपया मेरी पुत्री को अवसर प्रदान कर अनुगृहीत कीजिये |

शब्दार्थ - 
महोदये - महोंदया |
कार्य अर्थम्‌ - काम के विषय में |
मम- मेरी |
अवसरं - अवसर |
क्रियापद - पृच्छति स्म- पूछ रही थीं |
भवती - आप (स्त्री) |
गिरिजा महोदयां - गिरिजा महोदय को |
सुतायै - पुत्री के त्रिये |
प्रदाय - प्रदान कार |
अनुगृद्वन्तु- अनुगृहीत कीजिये |
प्रदाय- देकर |

मालिनी - परमेषा तु अल्पवयस्का प्रतीयते। किं कार्य करिष्यत्येषा? अयं तु अस्या: अध्ययनस्य क्रीडनस्थ च काल:।
अनुवाद-
मालिनी- लेकिन यह तो कम आयु की लग रही है|यह कया काम कर पायेगी| यह तो इसके पढने और खेलने का समय है|

शब्दार्थ - 
एषा -यह (स्त्री)
अल्पवयस्का - कम आयु की |
अयं- यह|
अस्या: - इसके |
अध्ययनस्य - पढने का |
क्रीडनस्य - खेलने का |
काल: - समय|
'क्रियापद- प्रतीयते- लगता है|
करिष्यति - करेगी|


दर्शना - एषा एकस्य गृहस्य संपूर्ण कार्य करोति स्म। सः परिवार: अधुना विदेश प्रति प्रस्थित:। कार्याभावे अहमेतस्यै कार्यमेवान्वेषयामि सम येन भवत्सदृशानां कार्य प्रचलेतू अस्मद्सदृशानां गृहसञ्चालनाय च धनस्य व्यवस्था भवेत्‌॥
अनुवाद-
दर्शना- यह एक घर का सारा काम करती थी | वह परिवार अब विदेश चला गया है |काम के अभाव में मैं इसके लिए काम खोज रही थी जिससे आप जैसों का काम चल जाये और हम जैसों के घर चलाने के लिए पैसों की व्यवस्था हो जाये|

शब्दार्थ - 
एकस्य गृहस्य- एक घर का |
संपूर्ण कार्य - सारा काम |
सः- वह(पु.)
परिवार: - परिवार|
विदेशं - विदेश को|
कार्याभावे - काम के अभाव में |
अहं - मैं|
यैन - जिससे |
अस्मद्‌ सदृशानां - हम जैसों का |
च-और |
क्रियापद- करोति स्म- करती थी|
अन्वेष्यामि स्म- खोज रही थी|
भवेत्‌- हो जाये|
एतस्यै - इसके लिए |
भवत्‌ सदृशानां - आप जैसों का |
गृह संचालनाय - घर चलाने के लिए|
धनस्य व्यवस्था - धन की व्यवस्था|
प्रस्थित: - चल गया है|



प्रचलेत्‌ - चल जाये|


मालिनी - परम् एतत् तु सर्वथा अनुचितम्‌ एव। कि न जानासि यत्‌ शिक्षा तु सर्वेषां बालकानां सर्वासां बालिकानां च मौलिक: अधिकार:।
अनुवाद-
मालिनी- लेकिन यह तो पूरी तरह से अनुचित है|क्था तुम नहीं जानती हो कि शिक्षा तो सभी बालकों और सभी बालिकाओं का मूल अधिकार है|

शब्दार्थ - 
एतत्‌ - यह(नपु)
अनुचितम्‌ - अनुचित |
कि - क्या।
सर्वेषां बालकानां - सभी बालकों का |



सर्वासां बालिकानां - सभी बालिकाओं का


दर्शना - महोदये! अस्मद्‌ सदृशानां तु मौलिका: अधिकारा: केवल स्वोदरपूर्त्ति- रेवास्ति। एतस्य व्यवस्थायै एवं अहं सर्वस्मिन्‌ दिने पञ्च-षड़्गृहाणां कार्य करोमि। मम रुग्ण: पति: तु किज्चिदपि कार्य न करोति। अतः अहं मम पुत्री च मिलित्वा परिवारस्य भरण-पोषणं कुर्व:। अस्मिन्‌ महार्घताकाले मूलभूतावश्यकतानां कृते एवं धन पर्याप्त न भवति तर्हि कथं विद्यालय शुल्क॑, गणवेष॑ पुस्तकान्यादीनि क्रेतुं धनम् आनेष्यामि।
अनुवाद-
दर्शना- महोदया! हम जैसों का मूल्न अधिकार तो पेट भरना(भूख मिटाना) ही है|इसकी व्यवस्था के लिए ही मैं दिनभर मै 5-6 घरों में काम करती हूँ। मेरे बीमार पति तो कुछ भी काम नहीं करते हैं इसलिए मैँ और मेरी पुत्री मिलकर परिवार का पालन-पोषण।करते हैं| इस महंगाई के समय में मूलभूत आवश्यकताओं के लिए ही पैसा नहीं है तो विद्यालय का शुल्क, पुस्तके आदि खरीदने के लिए पैसा कहाँ से लायेंगे।

शब्दार्थ - 
स्वोदर-पूर्ति: - अपना पेट भरना |
एतस्य - इसकी|
व्यवस्थायै - व्यवस्था के लिए|
सर्वस्मिन्‌ दिने - पूरे दिन में |
पज्च-षड़्‌ गृहाणाम्‌ - 5-6 घरों का |
रुग्ण: पति: - बीमार पति |
किज्चिद्‌ - कुछ |
परिवारस्य - परिवार का |
भरण पोषणम्‌ - पालनपोषण अस्मिन्‌ - इस| महार्घता
काले - महंगाई के समय में |
कथं - कैसे |



मूलभूत आवश्यकतानां कृते - मूलभूत आवश्यकताओं के लिए |
गणवेषम्‌ - विद्यालय के कपड़े|
क्रियापद- अस्ति- है| करोमि- करती हूँ।।
करोति- करता है। कुर्व: - करते हैं|
भवति- होता है।
आनेष्यामि- लाऊँगी|


मालिनी -अहो! अज्ञानं भवत्या:। कि न जानासि यत्‌ नवोत्तर-द्वि-सहस्र (2009)तमे वर्ष सर्वकारेण सर्वेषां बालकानां, सर्वासां बालानां कृते शिक्षाया: मौलिकाधिकारस्य घोषणा कृता । यदनुसारं षड्वर्षेभ्य: आरभ्य चतुदर्शवर्षपर्यन्त॑ सर्वे बाला: समीपस्थं सर्वकारीय॑ विद्यालय प्राप्प न केवल निःशुल्क शिक्षामेव प्राप्स्यन्ति अपितु निःशुल्क गणवेष॑ पुस्तकानि, पुस्तकस्यूतम्‌, पादत्राणम्‌, माध्याह्रभोजनम्‌, छात्रवृत्तिम्‌ इत्यादिक॑ सर्वमेव प्राप्स्यन्ति।
अनुवाद-



मालिनी- यह आपका अज़ान्‌ है| क्‍या तुम नहीं जानती कि वर्ष 2009 में भारत सरकार द्वारा सभी बालकों और बालिकओं के लिए शिक्षा के मूल अधिकार की घोषणा की गयी है,जिसके अनुसार 6 वर्ष की आयु से लेकर ॥4 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चे पास स्थित सरकारी विद्यालय में न केवल नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त करेंगे बल्कि विद्यालय की पोषक,पुस्तकें ,थैला ,जूते,दोपहर का भोजन और छात्रवृति भी नि:शुल्क प्राप्त करेंगे |

शब्दार्थ - 
अहो - अरे |
अज्ञानं - अज्ञान|
भवत्या: - आपका|
नवोत्तर द्वि सहस्न- दो हज़ार नो |
सर्वकारेण - सरकार द्वारा|
सर्वेषां बालकानां -सभी बालकों के |
सर्वासां बालानां - सभी बालिकाओं के |
शिक्षाया: - शिक्षा के|
मॉलिक अधिकारस्य - मूल अधिकार की,
षड़्वर्षेभ्य: आरभ्य-6 वर्ष से लेकर|
चतुर्दश वर्ष पर्यन्तं - ।4 वर्ष तक की आयु के |



सर्वे बाला: - सभी बच्चे |
समीपस्थं-पास में स्थित|
सर्वकारीयं विद्यालयम्‌ - सरकारी विद्यालय में|
पुस्तक स्यूतं- पुस्तकों का यैला|
पादत्राणं - जूते ।
मध्याह्न् भोजनं - दोपहर का भोजन|
छात्रवृतिं - छात्रवृति।



क्रियापद- प्राप्स्यन्ति- प्रात करेंगे|


दर्शना - अप्येवम्‌ (आश्चर्येण मालिनी पश्यति)
अनुवाद-



दर्शना- कया ऐसी बात है| ( आश्चर्य से मालिनी को देखती है।)

शब्दार्थ - 
आश्चर्येण - आश्चर्य से |
मालिनीं - मालिनी को |



क्रियापद- पश्यति- देखती है|


मालिनी - आम्‌। वस्तुत: एवमेव।
अनुवाद-



मालिनी- हाँ | वास्तव में ऐसा ही है|


शब्दार्थ - 
वस्तुत: - वास्तव में |



अव्यय- एवम्‌- ऐसा|
एव- ही|


दर्शना - (कृतार्थतां प्रकटयन्ती) अनुगृहीताउस्मि "सहोदये! एतद्‌ बोधनाय। अहम्‌ अच्यैवास्था: प्रवेशं समीपस्थे -विद्यालये कारयिष्यामि। 
अनुवाद-



दर्शना- (धन्यवाद प्रकट करती हुई) महोदया ! यह जानकारी पाकर मैं अनुगृहीत हुई। आज ही इसका प्रवेश पास वाले विद्यालय में करवा दूँगी|

शब्दार्थ - 
कृतार्थताम्‌ - धन्यवाद |
अनुगृहीता - अनुगृहीत|
अस्या: प्रवेशं - इसका प्रवेश|
विद्याल्रये - विद्यालय में |
क्रियापद- कारयिष्यामी- करवा दूँगी
प्रकटयन्ति - प्रकट करती हुई।
एतद्‌ बोधनाय - यह जानकारी देने के लिए |



समीपस्थे - पासवाले|


दर्शनाया: - पुत्री- (उल्लासेन सह)-अहं विद्यालयं गमिष्यामि! अहमपि 'पठिष्यामि! (इत्युक्वा करतलवादनसहितं नृत्यति मालिनीं प्रति च कृतज्ञतां ज्ञापयति)
अनुवाद-
दर्शना की पुत्री - ( उल्लास के साथ) - मैं विद्यालय जाऊँगी| मैं भी पढ़ूंगी| (यह कहकर ताली बजाते हुए नाचती है और मालिनी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करती है|

शब्दार्थ - 
क्रियापद-
गमिष्यामि- जाऊँगी |
पठिष्यामि - पढ़ूंगी |
नृत्यति - नाचती है|



ज्ञापयति - ज्ञापित करती है|

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